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Home Basic Account

Golden Rules Of Accounting क्या है ? – What is Golden Rules Of Accounting?

admin by admin
December 31, 2021
in Basic Account
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Golden Rules of Accounting –  तीन प्रकार के खाते होते हैं:-
  1. व्यक्तिगत खाते (Personal Account)
  2. वास्तविक खाते (Real Account)
  3. नाम-मात्र के खाते (Nominal Account)
 

(1) व्यक्तिगत खाते (Personal Account):- वे खाते जो किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी या संस्था के नाम से खोले जाते हैं व्यक्तिगत खाते कहलाते हैं। जैसे मोहन का खाता, रामचंद्र कृष्णचन्द्र का खाता, डी. सी. एम. लिमिटेड का खाता, दिल्ली विश्वविद्यालय का खाता, बैंक खाता, व्यवसाय के स्वामी का पूँजी खाता (Capital Account), व्यवसाय के स्वामी का आहरण खाता (Drawing Account) आदि।

नियम (Rules):- व्यक्तिगत खातों में लेखा करते समय ‘पाने वाले खाते को डेबिट तथा देने वाले खाते को क्रेडिट’ किया जाता है।
        “Debit the receiver and credit the giver”
 
उदाहरण :-  (1) हमने हरी को ₹ 10,000 दिए :-
ऐसी दशा में दो खाते हरी का खाता और रोकड़ खाता प्रभावित होते हैं। हम “Debit the receiver” के नियम के अनुसार हरी के खाते को डेबिट करेंगे क्योंकि हरी का खाता पाने वाला खाता है और रोकड़ के खाते को क्रेडिट करेंगे क्योंकि रोकड़ गयी है। इसकी निम्न प्रविष्टि होगी –
 
                Hari (Debit the receiver)                    Dr.            10,000
                        To Cash A/c                                                            10,00
 
 
 
(2) हमने मोहन से ₹ 5,000 प्राप्त किये। ऐसी दशा में रोकड़ खाते को  डेबिट करेंगे क्योंकि रोकड़ प्राप्त हुई है और “Credit the giver” के नियम के अनुसार मोहन के खाते को क्रेडिट करेंगे-
 
                Cash A/c                                            Dr.                5,000
                    To Mohan (Credit the giver)                                        5,000
 
 
(2) वास्तविक खाते (Real Account):- वह सब वस्तुएं जिनका मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जा सकता है और जो व्यवसाय की सम्पत्तिया हैं उनके खातों को वास्तविक खाते कहा जाता है। जैसे रोकड़ खाता (Cash Book), फर्नीचर खाता, मशीनरी खाता, भवन खाता, ख्याति खाता (Goodwill A/c) आदि।
नियम (Rules):- जो वस्तु या संपत्ति व्यापार में आती है उसके खाते को डेबिट किया जाता है और जो वस्तु या संपत्ति व्यापार से बहार जाती है उसके खाते को क्रेडिट किया जाता है।
        “Debit what comes in an credit what goes out.”
 
उदाहरण :- ₹ 5,000 का नकद फर्नीचर खरीदा। इसमें व्यापार में ‘फर्नीचर’ आता है और ‘रोकड़’ जाती है अतः फर्नीचर खाते को ‘Debit what comes in’ के नियम के अनुसार डेबिट करेंगे और रोकड़ खाते को ‘Credit what goes out’ के नियम के अनुसार क्रेडिट करेंगे –
 
                    Furniture A/c (Debit what comes in)                         Dr.                5,000
                            To Cash A/c (Credit what goes out)                                                     5,000
 
 
(3) नाम-मात्र के खाते (Nominal Account):- व्यवसाय की आय और व्यय से सम्बन्धित सभी खातों को अवास्तविक खाते अथवा नाममात्र खाते कहते हैं।
 
        व्यय से सम्बन्धित खाते- जैसे वेतन दिया, किराया दिया, छूट दी, अप्राप्य ऋण खाता (Bad Debts A/c) आदि।
        आय से सम्बन्धित खाते- जैसे कमीशन मिला, ब्याज प्राप्त किया, छूट प्राप्त की आदि।
 
        नियम (Rules)- नाममात्र के खातों में लेखा करते समय “व्यय एवं हानि के खातों को डेबिट करते हैं तथा आय एवं लाभ के खातों को क्रेडिट करते हैं।”
 
        “Debit all expenses and loses and credit income and gains”
 
उदाहरण:-  ₹ 5,000  वेतन दिए। प्रभावित  होने वाले दो खाते हैं- वेतन खाता और रोकड़ खाता। वेतन खाता नाममात्र खाता है और क्योंकि यह व्यय है इसलिए ‘Debit the expenses’ के नियम के अनुसार इसे डेबिट करेंगे तथा रोकड़ जाती है अतः ‘Credit what goes out’ के नियम के अनुसार रोकड़ को क्रेडिट करेंगे-

 

 
            Salary A/c (Debit all expenses)                     Dr.                            5,000
                    To cash A/c (Credit what goes out)                                                    5,000
Golden Rules of Accounting –  तीन प्रकार के खाते होते हैं:-
  1. व्यक्तिगत खाते (Personal Account)
  2. वास्तविक खाते (Real Account)
  3. नाम-मात्र के खाते (Nominal Account)
 

(1) व्यक्तिगत खाते (Personal Account):- वे खाते जो किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी या संस्था के नाम से खोले जाते हैं व्यक्तिगत खाते कहलाते हैं। जैसे मोहन का खाता, रामचंद्र कृष्णचन्द्र का खाता, डी. सी. एम. लिमिटेड का खाता, दिल्ली विश्वविद्यालय का खाता, बैंक खाता, व्यवसाय के स्वामी का पूँजी खाता (Capital Account), व्यवसाय के स्वामी का आहरण खाता (Drawing Account) आदि।

नियम (Rules):- व्यक्तिगत खातों में लेखा करते समय ‘पाने वाले खाते को डेबिट तथा देने वाले खाते को क्रेडिट’ किया जाता है।
        “Debit the receiver and credit the giver”
 
उदाहरण :-  (1) हमने हरी को ₹ 10,000 दिए :-
ऐसी दशा में दो खाते हरी का खाता और रोकड़ खाता प्रभावित होते हैं। हम “Debit the receiver” के नियम के अनुसार हरी के खाते को डेबिट करेंगे क्योंकि हरी का खाता पाने वाला खाता है और रोकड़ के खाते को क्रेडिट करेंगे क्योंकि रोकड़ गयी है। इसकी निम्न प्रविष्टि होगी –
 
                Hari (Debit the receiver)                    Dr.            10,000
                        To Cash A/c                                                            10,00
 
 
 
(2) हमने मोहन से ₹ 5,000 प्राप्त किये। ऐसी दशा में रोकड़ खाते को  डेबिट करेंगे क्योंकि रोकड़ प्राप्त हुई है और “Credit the giver” के नियम के अनुसार मोहन के खाते को क्रेडिट करेंगे-
 
                Cash A/c                                            Dr.                5,000
                    To Mohan (Credit the giver)                                        5,000
 
 
(2) वास्तविक खाते (Real Account):- वह सब वस्तुएं जिनका मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जा सकता है और जो व्यवसाय की सम्पत्तिया हैं उनके खातों को वास्तविक खाते कहा जाता है। जैसे रोकड़ खाता (Cash Book), फर्नीचर खाता, मशीनरी खाता, भवन खाता, ख्याति खाता (Goodwill A/c) आदि।
नियम (Rules):- जो वस्तु या संपत्ति व्यापार में आती है उसके खाते को डेबिट किया जाता है और जो वस्तु या संपत्ति व्यापार से बहार जाती है उसके खाते को क्रेडिट किया जाता है।
        “Debit what comes in an credit what goes out.”
 
उदाहरण :- ₹ 5,000 का नकद फर्नीचर खरीदा। इसमें व्यापार में ‘फर्नीचर’ आता है और ‘रोकड़’ जाती है अतः फर्नीचर खाते को ‘Debit what comes in’ के नियम के अनुसार डेबिट करेंगे और रोकड़ खाते को ‘Credit what goes out’ के नियम के अनुसार क्रेडिट करेंगे –
 
                    Furniture A/c (Debit what comes in)                         Dr.                5,000
                            To Cash A/c (Credit what goes out)                                                     5,000
 
 
(3) नाम-मात्र के खाते (Nominal Account):- व्यवसाय की आय और व्यय से सम्बन्धित सभी खातों को अवास्तविक खाते अथवा नाममात्र खाते कहते हैं।
 
        व्यय से सम्बन्धित खाते- जैसे वेतन दिया, किराया दिया, छूट दी, अप्राप्य ऋण खाता (Bad Debts A/c) आदि।
        आय से सम्बन्धित खाते- जैसे कमीशन मिला, ब्याज प्राप्त किया, छूट प्राप्त की आदि।
 
        नियम (Rules)- नाममात्र के खातों में लेखा करते समय “व्यय एवं हानि के खातों को डेबिट करते हैं तथा आय एवं लाभ के खातों को क्रेडिट करते हैं।”
 
        “Debit all expenses and loses and credit income and gains”
 
उदाहरण:-  ₹ 5,000  वेतन दिए। प्रभावित  होने वाले दो खाते हैं- वेतन खाता और रोकड़ खाता। वेतन खाता नाममात्र खाता है और क्योंकि यह व्यय है इसलिए ‘Debit the expenses’ के नियम के अनुसार इसे डेबिट करेंगे तथा रोकड़ जाती है अतः ‘Credit what goes out’ के नियम के अनुसार रोकड़ को क्रेडिट करेंगे-

 

 
            Salary A/c (Debit all expenses)                     Dr.                            5,000
                    To cash A/c (Credit what goes out)                                                    5,000
Tags: Accountingaccounting conceptAccounting RulesAccounting StudyBasic AccountingGolden RulesGolden Rules of Accounting
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