व्यवसाय की सही कुशलता मापने के लिए यह एक सामान्य प्रथा है कि स्वामी द्वारा लगाई गई पूंजी पर व्यवसाय स्व ब्याज वसूल किया जाए। ऐसा ब्याज लगाने के बाद बचे हुए लाभ ही व्यवसाय द्वारा अर्जित किये गए वास्तविक लाभ माने जाएंगे। पूंजी का ब्याज व्यवसाय के लिए हानि है अतः नाममात्र खाते क्व नियम के अनुसार ब्याज खाते (Interest A/c) कक डेबिट किया जाता है। व्यवसाय के स्वामी की दृष्टि से ऐसा ब्याज लाभ है। ब्याज से उनकी पूंजी में व्रद्धि होती है। अतः स्वामी के पूंजी खाते (Capital A/c) को क्रेडिट किया जाता है।
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